Soil Important Points in One Liner

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Soil Important Points in Hindi

Soil Important Points

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  Soil Important Points
1 वे मृदाएं जिनमें कार्बनिक अम्ल की मात्रा अधिक पाई जाती है वे मृदाऐ प्रायःअम्लीय हो जाती हैं ।
2

अम्लीय मृदा नम जलवायु क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है।

3 ‘अम्लीय मृदा का पी.एच. मान 7 से कम होता है।
4 अम्लीय मृदा में हाईड्रोजन (H) आयन्स की प्रधानता पाई जाती है।
5 अम्लीय मृदा को “चूने के प्रयोग” से सुधारा जाता है।
6 क्षारीय मृदाएँ प्रायः शुष्क जलवायु क्षैत्रों में अधिक पाई जाती है, इन मृदाओं में लवण की मात्रा अधिक पाई जाती है।
7 क्षारीय मुदा का पी.एच.मान 7 से अधिक तथा इसमें हाइड्राक्सील आयन (OH) की अधिकता पाई जाती है।
8 अधिक क्षारीय मृदा का पी.एच. 8.5 से अधिक होता है।
9 जिप्सम एवं पाइराइटस् का प्रयोग क्षारीय मृदा को सुधारने में करते है ।
10 मृदा में जब विद्युत चालकता (EC) 4 से अधिक एवं पी.एच, मान 8.5 से अधिक हो तो ऐसी मृदा को लवणीय एवं क्षारीय मृदा कहते है।
11 अम्लीय मृदा में फास्फोरस, एल्युमिनियम फास्फेट के रूप में स्थिर (फिक्स) हो जाती है जिससे इसे पौधे इसे ग्रहण नहीं कर पाते है ।
12 अधिक अम्लीय मृदाओं में लोह अविषालुता पाई जाती है जो कि पौधों के लिए हानिकर होती है।
13 जलमग्न भूमि में फेरस से फैरिक अम्ल का निर्माण होता है. ।
14 किस्म ‘ऊसर धान-1’, धान की ऊसरीली मृदाओं के लिए उपयुक्त है।
15 सामान्य मृदाओं में कार्बन : नाइट्रोजन (C:N) अनुपात 10:1 होता है ।
16 क्ले मृदा की जलधारण क्षमता सबसे अधिक होती है।
17 क्ले कणों का आकार 0.002 mm से कम होता है।
18

क्लें मृदाओं में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक पाई जाती है।

19 वर्षा के समय मृदा की ऊपरी परत बहकर चली जाती है जिससे मृदा की उपजाऊ शक्ति कम होती है इसे परत क्षरण कहते है । इसे अदृश्य क्षरण या भूलभुलैया क्षरण भी कहते है क्योकि सामान्य रूप से यह क्षरण दिखाई नहीं देता है ।
20 बर्षा की बौछार के कारण मृदा के ऊपरी सतह के कण छिटककर आगे बढ़ते है। इस क्षरण को स्पलेश क्षरण (इटोसन), कहते है ।
21 चिकनी या क्ले मृदा मे क्ले कंण(सुक्ष्म कंण) के कारण जल धारण क्षमता अधिक होती है।
22 रेतीली मृदा में रेत कणो के कारण जल धारण क्षमता कम होती है।

  Soil Important Points
23 फार्मिग सिस्टम (फसल प्रणाली) के संघटक 1. फल उत्पादन 2. पशु पालन 3. मछली पालन आदि है ।
24 भारत में लवणीय और क्षारीय मृदाओं का क्षेत्रफल 7 मिलियन हैक्टयर है।
(मिलियन = 10 लाख)
25 बलुई (रेतीली) मृदा में 40-45%, दोमट मृदा में 50% तथा क्ले मृदाओं में 55-58% रन्ध्रावकाश पाया जाता है ।
26 काली मिट्टी में माटमोरिल्लोनाइट खनिज (मटियार) पाया जाता है।
27 दोमट मृदा मे रेत, सिल्ट और क्ले कणो का उचित अनुपात पाया जाता है।
28 मृदा में सबसे अधिक सिलिका (SiO ) खनिज पाया जाता है।
29 सामान्य मृदा का निरपेक्ष (वास्तविक घनत्व) 2.65 होता है, वास्तविक घनत्व को कण घनत्व भी कहा जाता है।
30 सामान्य मृदा का निरपेक्ष (वास्तविक घनत्व) 2.65 होता है, वास्तविक घनत्व को कण घनत्व भी कहा जाता है।
31 जलमग्न भूमि में लोह तत्व की अधिकता की समस्या पाई जाती है।
32 वास्तविक घनत्व ज्ञात करते समय, मृदा आयतन में रन्ध्रावकाश को शामिल नहीं किया जाता है।
33 कछारी (एल्युवियल) मृदा का क्षेत्रफल भारत में सर्वाधिक है।
34

काली मृदाओं को कपास की काली मिट्टी के नाम से भी जानी जाती है।

35 काली मदाओं का क्षेत्रफल महाराष्ट्र में सर्वाधिक है।
36 मृदा आर्दता तनाव मापने की अधिकतम सीमा 0 85 atm तक है।
37 तलछटी चट्टान के उदाहरण – बालू पत्थर, जिप्सम, चूना पत्थर, खड़िया आदि।
38 आग्नेय एंव परतदार चट्टानों के जल, ताप या दाब के रूपांतरण से निर्मित चट्टानों को रूपांतरित चट्टान कहते है।
39 रूपांतरित चट्टानों के उदाहरण – क्वटिजाइट, स्लेट, संगमरमर आदि है।
40 टेसियोमीटर (तनावमापी) यंत्र द्धारा मृदा नमी (मुदा आर्द्रता तनाव) ज्ञात की जाती है।
41 खनिजो के योग से बने ठोस पदार्थ को ‘चट्टान’ कहते है।
42 मृदा में आयतन के आधार पर 45% खनिज पदार्थ,5% कार्बनिक पदार्थ, 25% जल और 25% वायु पाई जाती है।
43 क्लें मृदा में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक पाई जाती है जिससे मृदा पोषक तत्वो की मात्रा भी अधिक होती है।

 

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